Jay Bhim, the movie penetrating your mind, can last mile digital connectivity make difference
आज मैने जय भीम movie देखी, एक पल को तो जैसे दिल झकझोर सा गया, कई ऐसे scenes थें जिनपर खुद को रोने से रोक नही पाई, ये 1994 में तमिलनाडु राज्य में हुई एक सत्य घटना पर आधारित है, दो पल को तो ऐसा भी लगा जैसे काश ये एक story ही होती, इसका सच्चा होना हमे आइना तो दिखाता है पर क्या आइना देखकर तरस भी आता है, मैं और मेरे जैसे कितने लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत busy है कभी कभी तो छोटे मोटे injustice पर हमारी नजर भी नही जाती या हम देखकर अनदेखा कर देते हैं या देखना ही नही चाहते, हो सकता है वक्त अब 1994 जैसा ना रह गया हो,सब बदल रहा है, (information age है भई अब सब अपने अधिकार और ज़िम्मेदारी से पूर्णतः अवगत है, और नही भी है तो समय समय पर social media या ऐसे चित्रपट हमे अवगत कराते रहते हैं, लगभग डेढ़ दशक तो मुझे ही इन plateforms को देखते हो गया है). पर क्या सचमे हमारी सोच उस स्तर पर उत्कृष्ट हो पाई है जिस पर होना चाहिए इतने सालो बाद जब हम तक बहुत कुछ प्रमाण के साथ पहुंच रहा है, क्या हम अपने पुराने ढर्रे को छोड़कर नए तरीके से शुरुवात करना चाहते है? क्या खुद को बदलना चाहते है? हम भारत...